गजलें सुनने के शौक ने नरवीन को बनाया गायक, सेवानिवृत्ति के बाद शुरू की नई पारी

मन में अगर कुछ करने की तमन्ना तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिला कांगड़ा के संगीत शिक्षक नरवीन गरलानी ने। नरवीन बचपन से पहाड़ी व हिंदी गायकी से जुड़े हैं। नरवीन गरलानी ने बताया कि उनके पिता हमेशा गाना गुनगुनाया करते थे तो वह भी उनके साथ गुनगुनाते थे। उन्हें  रेडियो पर गाना सुनने का शौक था। बताया कि रेडियो पर ज्यादातर गजलें सुनने का शौक था। फिर रियाज शुरू किया।


संगीत की शिक्षा प्राप्त की और संगीत शिक्षक कार्यरत रहे। शुरू में उन्होंने गजलों से शुरुआत की और हारमोनियम के साथ गजलें गाते रहे। नरवीन हर तरह के संगीत वाद्य यंत्र भी बजा लेते हैं। अपनी जिंदगी को उन्होंने संगीत से संवारा है। संगीत की शिक्षा कई शिष्यों को दी है। वह अपने गानों को खुद लिखते और निर्देशन भी करते हैं। अभी शिवरात्रि को ही उन्होंने नई पारी की शुरुआत की है।

नरवीन ने बताया कि उनके भाई का गरली में ही म्यूजिक स्टूडियो है। उन्होंने यह गाना निकालने के लिए प्रेरित किया। नरवीन ने बताया कि उन्होंने शिव भजन जिसका न बनता हो कोई काम वो जन सिमरे शिवजी का नाम.. अपने ही यू ट्यूब चैनल पर रिलीज किया है। इसे सोशल मीडिया में काफी पसंद किया जा रहा है। नरवीन गरलानी गरली परागपुर के रहने वाले हैं। अभी पत्नी व बेटी के साथ ज्वालामुखी में रहते हैं। नरवीन रिटायरमेंट ले चुके हैं। इससे पहले वे 11 वर्ष, 2001 से 2011 तक रावमापा ज्वालामुखी में बतौर संगीत शिक्षक सेवाएं दे चुके हैं।

नरवीन ने बताया कि वह रेडियो पर भी गाने गा चुके हैं। उन्हें 10 साल पहले एयर इंडिया की तरफ से बोल्ट और रैंक अवार्ड भी मिला है। उन्होंने ने संगीत में एमए जालंधर से की है और एम-फिल कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से की। लगभग 10 वर्षों के बाद एक बार फिर संगीत के नए क्षेत्र में अब वह नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं और हिमाचल में एक और लोक गायक अपनी पहचान बनाने के लिए सफर पर निकल चुका है।